लेखनी प्रतियोगिता - रात वो बरसात की थी..
रात वो बरसात की थी
रात वो बरसात की ही थी,
जब मिली थीं ये नज़रें हमारी,
उस रात की खुमारी में,
कुछ बढ़ सी गई थी बेकरारी हमारी
बरस रही थीं बूंदे हम पर,
बहक रहे थे जज़्बात हमारे,
बरसात की उस रात के,
क्या थे खूब नज़ारे?
तुम हम में, हम तुम में,
खोए हुए थे कुछ इस कदर,
बूंदों की आवाज में गूंज रहा था
खामोशियों का बज़र,
रात वो बरसात की ही थी,
जब मैं और तुम,
भावनाओं के उमड़ते ज्वार में,
बन गए थे हम...
प्रियंका वर्मा
28/7/22
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Gunjan Kamal
30-Jul-2022 12:57 PM
बेहतरीन
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Khan
29-Jul-2022 11:25 PM
Osm
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Tariq Azeem Tanha
29-Jul-2022 08:34 PM
शानदार
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